भारतेंदु युग

भारतेंदु युग

भारतेंदु युग</हु>

इसी समय देश के क्षितिज अरे भारतेंदु हरिश्चंद्र (1850-1885 ईसवी) का उदय हुआ भारतेंदु ने अपनी अनोखी प्रतिभा और महान व्यक्तित्व से तत्कालीन समाज को अद्भुत रूप से प्रभावित किया। उन्होंने पूर्ववर्ती लेखकों की कौन जीता और भाषा संबंधी दोषों से बचते हुए हिंदी गद्य का स्वच्छ संतुलित वशिष्ठ रूप भी ग्रहण क्या तद्भव और देश तो उनकी भाषा में थे।

इसके अतिरिक्त कहावत तो और मुहावरों के प्रयोग से उन्होंने भाषा को संजीव गुप्ता प्रदान की उनके नेतृत्व में हिंदी साहित्य के नए शिक्षित प्राप्त हुए व्यवस्था आधुनिकता के जनक थे ललित साहित्य की अनेक विधाओं के अतिरिक्त उपयोगी साहित्य के अंतर्गत आने वाली विभिन्न विषयों की ओर भी उनकी दृष्टि गई या उन्हीं की प्रेरणा थी कि खड़ी बोली हिंदी की बाल अवस्था में ही याद भूगोल विज्ञान धर्म पुराण उपन्यास नाटक निबंध पुरातत्व आज ना जाने कितने विषयों की और हिंदी के लेखक करते हुए भारतीय एक व्यक्ति नहीं वरन संस्था थे उन्होंने कितने ही लेखकों को जन्म दिया उनके जिनमें प्रमुख हैं श्रीनिवास दास बालकृष्ण भट्ट प्रताप नारायण मिश्र राधा कृष्ण दास कार्तिक प्रसाद खत्री राधाचरण गोस्वामी रीना चौधरी प्रेमघन आदि रीना चौधरी प्रेमघन आदि।

प्रश्न उत्तर

प्रश्न- भारतेंदु युग का काल निर्धारण कीजिए-
उत्तर- 1850 ईसवी से 1885

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प्रश्न- भारतेंदु युग के लेखकों के नाम-
उत्तर- प्रताप नारायण मिश्र, राधा कृष्ण दास , कार्तिक प्रसाद खत्री, राधाचरण गोस्वामी ।

प्रश्न- बद्रीनारायण चौधरी किस युग के लेखक थे?
उत्तर- भारतेंदु युग के।

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