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अन्य मापदंड क्या है? KP learning

  दोस्तों आज हम एक ऐसे टॉपिक पर बात करेंगे तो बहुत सारी परीक्षा में पूछा जाता है। दोस्तों आज की पोस्ट में हम जानेंगे अन्य मापदंड क्या है? Keywords अन्य मापदंड क्या है? अन्य मापदंड क्या होता हैं? अन्य मापदंड के बारे में बताइए? अन्य मापदण्ड - प्रति व्यक्ति आय (या औसत आय) के अलावा शिक्षा, स्वास्थ्य, निर्धनता तथा सामाजिक सुविधाएँ भी मानव-विकास के अन्य प्रमुख निर्धारक मापदण्ड हैं। वस्तुतः आय उन भौतिक वस्तुओं व सेवाओं का पर्याप्त सूचकांक नहीं है जिनका प्रयोग नागरिक करते हैं। अच्छे जीवन-यापन के लिए आवश्यक सभी वस्तुएँ या सेवाएँ नहीं खरीदी जा सकत उदाहरणार्थ-धन से प्रदूषण मुक्त स्वस्थ वातावरण नहीं खरीदा जा सकता। वैसे ही भौतिक सुख धन से खरीदा जा सकता है, परंतु मानसिक सुख नहीं। अन्य मापदंड वह उपाय हैं, जिनका उपयोग समय-समय पर विभिन्न क्षेत्रों में समस्याओं का समाधान करने के लिए किया जाता है। ये मापदंड विभिन्न सेक्टरों में इस्तेमाल किए जाते हैं, जैसे शिक्षा, स्वास्थ्य, नौकरी आदि। शिक्षा में, मापदंड बच्चों के शैक्षिक प्रदर्शन के आधार पर तैयार किए जाते हैं। इसमें उनकी अध्ययन योग्यता, उनके शैक्षिक कौश

आय मापदंड क्या है? KP learning

 दोस्तों आज हम इस पोस्ट में आय मापदंड के बारे में पड़ेंगे। Keywords आय मापदंड क्या है? आय मापदंड क्या होता है? आय मापदंड के बारे में बताइए? आय मापदण्ड - विकास के सम्बन्ध में अभी तक यह बात पूरी तरह से स्पष्ट हो चुकी है कि केवल 'आय' इसका पर्याप्त सूचकांक (indicator) नहीं हो सकती। औसत आय का मूल्यांकन करते समय इसका विरोधाभास भी उजागर हो चुका है कि कैसे यह प्रत्येक व्यक्ति की सम्पन्न्ता या विकास का सूचकांक नहीं हो सकती। प्रायः राज्यों का तुलनात्मक अध्ययन प्रति-व्यक्ति आय (औसत आय) के आधार पर किया जाता है, परंतु प्रति-व्यक्ति आय (या औसत आय) के आधार पर मानव-विकास का सही-सही मूल्यांकन नहीं किया जा सकता।

भारतीय जनता पार्टी के बारे में बताइए? KP learning

दोस्तों आज हम भारतीय जनता पार्टी के बारे में जानेंगे भारतीय जनता पार्टी के बारे में नीचे विस्तार से बताया गया है। Keywords भारतीय जनता पार्टी के बारे में बताइए? भारतीय जनता पार्टी    पुराने भारतीय जन संघ को जिसे श्यामा प्रसाद मुखर्जी ने सन् 1951 में गठित किया, पुनर्जीवित करके सन् 1980 में यह पार्टी बनाई गई। भारत की प्राचीन संस्कृति और मूल्य, दीनदयाल उपाध्याय के विचार-समग्र मानवतावाद एवं अन्त्योदय से प्रेरणा लेकर मजबूत और आधुनिक भारत बनाने का लक्ष्य, भारतीय राष्ट्रवाद और राजनीति की इसकी अवधरणा में सांस्कृतिक राष्ट्रवाद अर्थात्हिन्दुत्व एक प्रमुख तत्व है। इस दल का चुनाव चिन्ह कमल का फूल है। यह पार्टी जम्मू और कश्मीर को क्षेत्रीय और राजनीतिक स्तर पर विशेष दर्जा देने के खिलाफ रही है और वर्तमान में वहाँ से धारा 35A व 370 हटा दी गयी है। इस दल की प्राथमिकता है कि देश में रहने वाले सभी धर्म के लोगों के लिए समान नागरिक संहिता बनाने और धर्मांतरण पर रोक लगाने के पक्ष में है। 1990 के दशक में इसके समर्थन का आधार बहुत व्यापक हुआ। पहले यह दल देश के उत्तर और पश्चिमी तथा नगरीय क्षेत्रों तक ही सीमित था।

सत्ता की साझेदारी का क्या महत्व है? KP learning

 दोस्तों इस पोस्ट में सत्ता की साझेदारी के बारे में बताया गया है। सत्ता की साझेदारी के बारे में नीचे विस्तार से बताया गया है इसे आप आसानी से कर सकते हैं। Keywords सत्ता की साझेदारी क्या होती है? सत्ता की साझेदारी क्या है? सत्ता की साझेदारी के बारे में बताइए? सत्ता की साझेदारी का क्या महत्व है? महत्त्व - सत्ता का बटवारा सम्भव नहीं - इसी धरणा से निजात पाने के लिए सत्ता की साझेदारी के विचार ने जन्म लिया। बहुत समय से यही मान्यता चली आ रही थी कि सरकार की समस्त शक्ति किसी एक व्यक्ति या किसी विशेष स्थान पर रहने वाले व्यक्तियों के समूह के हाथ में रहनी चाहिए। इस मान्यता के अनुसार अ सत्ता की साझेदारी नहीं हो सकतीक्योंकि साझेदारी की स्थिति में अविलम्ब निर्णय लेना और उन्हें लागू करना सम्भव नहीं हो पाएगा। परंतु, लोकतंत्र का एक बुनियादी सिद्धांत यह है कि सामान्य जनता ही समूची राजनीतिक शक्तियों का स्रोत है।  लोकतन्त्र में जनता अपने चुने हुए प्रतिनिधियों के माध्यम से शासन का संचालन करती है। एक अच्छे, लोकतांत्रिक शासन में समाज के सभी वर्गों के विचारों तथा उनके हितों को ध्यान में रखते हुए सार्वजनिक नीति

सत्ता की साझेदारी का क्या अर्थ है? KP learning

 सत्ता की साझेदारी का अर्थ - विभिन्न समुदायों अथवा क्षेत्रों को सरकार में सत्ता का स्थायी हिस्सा प्रदान करना 'सत्ता की साझेदारी' कहलाता है। इसके अन्तर्गत लोग तथा देश के नेता विभिन्न समुदायों और क्षेत्रों केविचारों और रुचियों को सम्मान देते हैं। एकता और लोकतन्त्र के विकास के भिन् लिए सत्ता की साझेदारी का सिद्धान्त बहुत महत्त्वपूर्ण है

खनिजों का क्या महत्व है? KP learning

 खनिजों का महत्व (Importance of Minerals)  खनिज हमारे जीवन के अभिन्न अंग है। दैनिक जीवन में प्रयोग होने वाली वस्तुओं में इनका उपयोग होता है। यातायात के सभी साधन, मशीनें, उपकरण, कृषि मशीनें व यन्त्र, पेट्रोलियम पदार्थों से बने सभी पदार्थ, सोने, चाँदी व हीरे से बने आभूषण आदि अनगिनत पदार्थ हमें खनिजों से ही प्राप्त होते हैं। * यह खनिज पदार्थ ही औद्योगिक विकास का आधार हैं। लोहा व कोयला दो ऐसे खनिज हैं, जिनके बिना औद्योगिक प्रगति की कल्पना भी नहीं की जा सकती है। शक्ति के साधनों में भी खनिजों का महत्त्वपूर्ण स्थान है। बसें, रेलगाड़ियाँ, कारें, हवाई जहाज व अन्य दूसरे वाहन खनिजों से ही बने होते हैं। हमारे भोजन में भी खनिजों का प्रयोग होता हैं। मनुष्य ने विकास की सभी अवस्थाओं में अपनी आजीविका, सजावट, त्यौहारों और धार्मिक अनुष्ठान आदि के लिए भी खनिजों का उपयोग किया है।

खनिज क्या है? KP learning

 जो पदार्थ पृथ्वी के धरातल से खोदकर निकाले जाते हैं उन्हें 'खनिज' कहते हैं। खनिज, प्राकृतिक रूप से मिलने वाले वे पदार्थ हैं जिनकी अपनी भौतिक विशेषताएँ और एक निश्चित रासायनिक होता है। भू-वैज्ञानिकों के अनुसार, खनिज एक प्राकृतिक रूप से विद्यमान समरूप (Homogeneous) तत्व है, तथा इनकी एक निश्चित आतंरिक संरचना (Internal structure) होती है। खनिज प्रकृति में विभिन्न रूपों में पाये जाते हैं। जिसमें नरम चूना व कठोर हीरा तक सम्मिलित हैं। खनिज इतने विविध क्यों हैं ? आप चट्टानों के विषय में पहले ही पढ़ चुके हैं। चट्टानें भी खनिजों के समरूप ही तत्वों के यौगिक हैं। कुछ चट्टानें सिर्फ एक ही खनिज से बनी होती हैं, जैसे― चूना पत्थर, परन्तु अधिकांश चट्टानें विभिन्न अनुपातों के कई खनिजों का योग होती हैं। अब तक लगभग 2,000 से ज्यादा खनिजों की खोजहो चुकी है चट्टानों में उपस्थित बहुत-से खनिजों में से कुछ ही खनिज हमारे उपयोग लायक होते हैं। खनिज निश्चित तत्त्वों का सम्मिलित रूप है। इसमें सम्मिलित तत्त्वों का निर्माण उस समय के भौतिक व रासायनिक परिस्थितियों का परिणाम होता है। भौतिक व रसायनिक परिस्थितियों क

कृषि का क्या अर्थ है? KP learning

 कृषि से हमारा तात्पर्य ' भूमि को जोतने के विज्ञान एवं कला' से है परन्तु अर्थशास्त्र में कृषि की अवधारणा का प्रयोग विस्तृत अर्थ में किया गया है। कृषि में फसलें उगाने के साथ-साथ पशुपालन को भी सम्मिलित किया गया है। कृषि भारतीय जनसंख्या की आजीविका का महत्त्वपूर्ण स्रोत है। भारत की दो-तिहाई जनसंख्या कृषि कार्यों में संलग्न है तथा हमारे भोजन का अधिकांश हिस्सा कृषि से प्राप्त होता है। खाद्यान्न के अतिरिक्त कृषि से विभिन्न उद्योगों को कच्चा माल मिलता है। निर्यात सम्बन्धी कई उत्पाद मसालें, चाय, कॉफी इत्यादि कृषि से प्राप्त होते हैं। इससे भारत को बहुमूल्य विदेशी मुद्रा प्राप्त होती है।

भारत के जल संसाधन क्या है? KP learning

 भारत में विश्व के धरातल का 2.45%, जल संसाधनों का 4% तथा जनसंख्या का 17.5% भाग पाया जाता है। देश में प्रत्येक वर्ष वर्षण (precipitation) से लगभग 4,000 घन किमी जल प्राप्त होता है। इसका लगभग एक-तिहाई भाग वाष्पीकृत हो जाता है तथा लगभग 45% भाग ढाल के अनुरूप बहकर तालाबों, झीलों और नदियों में चला जाता है। इस जल को पृष्ठीय अथवा धरातलीय जल कहा जाता है। वर्षण से जल का लगभग 22% भाग मृदा में प्रवेश कर भूमिगत हो जाता है, उसे भौम जल या भूमिगत जल कहा जाता है। धरातलीय जल तथा पुनर्भरण योग्य भूमिगत जल से 1,869 घन किमी जल उपलब्ध है। इसमें से केवल 60% अर्थात् 1,121 घन किमी जल का उपयोग किया जा सकता है।

जल का महत्व क्या है? KP learning

 दोस्तों आज हम जानेंगे जिले का महत्व क्या है? हम जल को व्यर्थ में ही इतना बर्बाद कर रहे हैं। पर इसके महत्व के बारे में जानने के बाद इस को बर्बाद करना छोड़ दोगे। भूमण्डल में उपस्थित समस्त जीव-जन्तु एवं पौधों की संरचना में जल का अहम योगदान है। मनुष्य की शरीरिक रचना में 65 प्रतिशत जल होता है। एक स्वस्थ व्यक्ति के लिए प्रतिदिन 16 किग्रा वायु और 4.5 लीटर पानी की आवश्यकता होती है। शरीर के अत्यन्त महत्वपूर्ण अवयव, जैसे- हृदय, मस्तिष्क आदि को पानी से बने द्रव का एक कवच संरक्षण प्राप्त रहता है। शरीर के विभिन्न हिस्सों के बीच सम्पर्क बनाये रखता है। जल ही ऑक्सीजन तथा कार्बन डाइऑक्साइड का वाहक है और शरीर के मलिन पदार्थों को पसीना, मल और मूत्र के द्वारा शरीर से बाहर ले जाता है। अगर मनुष्य के शरीर में पानी की कमी आ जाए तो उसकी मृत्यु तक हो जाती है। अतः मानव जीवन में जल का अपना अलग ही महत्त्व है। जल का महत्त्व में प्रकृति में उत्पन्न होने वाली कोई भी वस्तु जल के बिना रह सके यह सम्भव नहीं, वृक्षों में 40 प्रतिशत तक पानी होता है। कुछ जलीय पौधों में तो जल की मात्रा 90 प्रतिशत तक होती है। जैसफिस समुद्री

जल संसाधन क्या है? KP learning

 जल संसाधन  वर्षा के जल का कुछ भाग वाष्प बनकर पुनः वायुमण्डल में विलीन हो जाता है, कुछ जल भूमि द्वारा सोख लिया जाता है जिसे भूमिगत जल कहते हैं तथा शेष जल ढालू सतह से बहना आरम्भ कर देता है जिसे बहता हुआ जल (नदी या सरिता) कहते हैं। जल का कुछ भाग पोखरों, तालाबों, झीलों तथा अन्य जलाशयों में इक्ट्ठा हो जाता है। इस प्रकार भू-पृष्ठ पर तथा भू-गर्भ में पाए जाने वाले समस्त जल-भण्डारों को 'जल संसाधन' कहा जाता है।

जलोढ़ मिट्टी और काली मिट्टी में अंतर बताइए KP learning

जलोढ़ मिट्टी और काली मिट्टी में अन्तर जलोढ़ मिट्टी--  जलोढ़ या काँप मिट्टी में पोटाश, चूना एवं फॉस्फोरस का अंश पर्याप्त मात्रा में होता है, किन्तु इसमें नाइट्रोजन व जीवांशों की कमी पायी जाती है, तथापि यह मिट्टी अपनी उर्वरा शक्ति के लिए प्रसिद्ध है। काली मिट्टी-- भारतीय प्रायद्वीप में विस्तृत काली मिट्टी का निर्माण अतीत में ज्वालामुखी से निकले लावा प्रवाह से हुआ है। इस मिट्टी में नमी धारण करने की क्षमता अधिक होती है। यह उर्वरा मिट्टी कपास की खेती के लिए सर्वोत्तम मानी जाती है। इसका रंग काला होता है।

मृदा अपरदन क्या है ? KP learning

 मृदा अपरदन (Soil Erosion)  भू-क्षरण तीव्र गति से मिट्टी की ऊपरी जीवांशीय पर्त के कोमल तथा उपजाऊ अंशों का अपहरण कर उसे निर्बल तथा अनुपजाऊ बना देता है। "मिट्टी के उपजाऊ कणों को प्राकृतिक कारकों द्वारा हटाया जाना भी भू-क्षरण या भू-कटाव कहा जाता है।" बहता हुआ जल, पवन तथा हिमानी, जो लाखों टन मिट्टी बहाकर समुद्रों में पहुँचा देते हैं, इस कटाव के महत्त्वपूर्ण कारक हैं। भू-क्षरण से धीरे-धीरे भूमि की उत्पादक क्षमता नष्ट होती रहती है तथा उपजाऊ भूमि ऊबड़-खाबड़ एवं ऊसर में परिवर्तित हो जाती है।

1815 ई० के बाद रूढ़िवाद और यूरोपीय सरकारों के रूढ़िवादी विचार तथा यूरोपीय रूढ़िवाद की विशेषताएँ क्या थी KP learning

 1815 ई० के बाद रूढ़िवाद और यूरोपीय सरकारों के रूढ़िवादी विचार तथा यूरोपीय रूढ़िवाद की विशेषताएँ  1815 ई० में नेपोलियन की हार के पश्चात् स्थापित सरकारें रूढ़िवादी एकीकरण का नों को आर्थिक हेतु सबसे थीं। रूढ़िवादी लोग राज्य और समाज की परंपरागत संस्थाओं तथा रीति रिवाजों को बनाये रखना चाहते थे। वे यूरोप में चले आ रहे ऊँच-नीच, • सामाजिक, सम्पत्ति, परिवार, राजतन्त्र, चर्च इत्यादि की संस्थाओं एवं परम्पराओं को जीवित रखने के पक्ष में थे। परन्तु उन्होंने नेपोलियन द्वारा किए गए सुधारों से आधुनिकीकरण के महत्त्व को जान लिया था। वे समझ गए थे कि • आधुनिकीकरण से राजतंत्र को नई शक्ति मिल सकती है। इसलिए वे गतिशील अर्थव्यवस्था, नौकरशाही, आधुनिक सेना इत्यादि का समर्थन करने लगे थे। निरंकुश राजतंत्रों को मजबूती प्रदान करने के लिए वे सामंतवाद तथा भूदासता को समाप्त होते देखना चाहते थे ।

फ्रांसीसी क्रांति का फ्रांस पर क्या प्रभाव पड़ा? KP learning

 फ्रांसीसी क्रांति का फ्रांस पर प्रभाव  1789 ई० में फ्रांस में होने वाली राज्य-क्रांति के फ्रांस पर पड़ने वाले प्रभावों का उल्लेख निम्नलिखित बिन्दुओं के अन्तर्गत किया गया है  (i) लुई वंश के शासन का अंत हुआ और उसके स्थान पर लोकतांत्रिक शासन की स्थापना हुई।  (ii) सरकार द्वारा लोक-कल्याणकारी कार्य जैसे-सड़कों, पुलों, नहरों, अस्पतालों, बांधों, स्कूलों आदि का निर्माण किया गया।  (iii) समानता, स्वतंत्रता, भ्रातृत्व की भावना से लबरेज़ नवीन समाज की नींव रखी गई।  (iv) न्याय व्यवस्था का पुनर्गठन करके देश के लिए नवीन कानून संहिता लागू की गई।  (v) प्रभुसत्ता, राजतंत्र के हाथों से निकल कर जनता के हाथों में चली गई।  (vi) इस्टेट जनरल के स्थान पर सक्रिय नागरिकों द्वारा चुनी गई नेशनल एसेंबली का गठन किया गया।  (vii) फ्रेंच भाषा को राष्ट्र भाषा और फ्रेंच तिरंगे को राष्ट्रीय ध्वज घोषित किया गया।  (viii) आंतरिक आयात-निर्यात शुल्क हटा दिए गए। साथ ही भार व ना की एक समान व्यवस्था लागू की गई।  (ix) शासक और पादरी वर्ग के विशेषाधिकारों का अंत किया गया तथ‍ कानून के समक्ष सबको बराबर माना गया। संपत्ति के अधिकार को स

Azim Premji: "Azim Premji: India's Philanthropic Business Magnate and Founder of Wipro Limited"

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Azim Premji: "Azim Premji: India's Philanthropic Business Magnate and Founder of Wipro Limited" Azim Premji  Azim Hashim Premji was born on 24 July, 1945 in Mumbai. He is founder and chairman of Wipro Limited, one of India's prestigeous IT companies. Premji has been guiding the company through four decades of diversification and growth to emerge as one of the Indian leaders in the software industry. ______________________________________________ Azim Premji is an Indian business magnate and philanthropist. He is the founder of Wipro Limited, one of the largest software companies in India. Azim Premji is widely recognized for his contributions to the Indian IT industry and for his philanthropic work. ______________________________________________ Azim Premji is a highly respected figure in the Indian business world, known for his philanthropy and his contributions to the country's technology industry. As the founder of Wipro Limited, one of the largest

Who is LARRY PAGE AND SERGEY BRIN KP learning

 Larry Page and Sergey Brin founded Google, the most renowned Internet search engine in 1998. Since then Google kept expanding in cyberspace. It added search capabilities in dozens of languages and began partnering with overseas sites as well Since its founding, Google has become one of the most successful dot-com businesses in history.

who is Satya Nadella

Satya Nadellas born on 19 August, 1967 in Hyderabad. Apart from holding an engineering degree, he holds an MS degree from the University of Wisconsin-Milwaukee and MBA degree from the University of Chicago. After serving in many important positions in Microsoft Corp., Nadella was announced as the Chief Executive Officer (CEO) of the company.

The black aeroplane KP learning

 THE moon was coming up in the east, behind me, and stars were shining in the clear sky above me. There wasn't a cloud in the sky. I was happy to be alone high up above the sleeping countryside. I was flying my old Dakota aeroplane over France back to England. I was dreaming of my holiday and looking forward to being with my family. I looked at my watch: one thirty in the morning. I should call Paris Control soon,' I thought. As I looked down past the nose of the aeroplane, I saw the lights of a big city in front of me. I switched on the radio and said, "Paris Control, Dakota DS 088 here. Can you hear me? I'm on my way to England. Over." The voice from the radio answered me immediately: "DS 088, I can hear you. You ought to turn twelve degrees west now, DS 088. Over." I checked the map and the compass, switched over to my second and last fuel tank, and turned the Dakota twelve degrees west towards England. 'I'll be in time for breakfast,' I t

The origin of life on Earth

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 The origin of life on Earth  Kp learning  Darwin's principle tells us how the development of organisms with complex formats from earth-effective people on earth. From the experiments of the family, we found out the procedure of the heigarestation of symptoms in a second generation from a generation. But both of them were unable to tell how the origin of life on earth, that is how it was firstly inventory. A British scientist J. B.. It's. Hadden (who later became citizens of India.) In 1929, it suggested that the first generation of organisms had been made from those simple inorganisms that were made at the time of the earth. He imagined that at the time of that atmosphere, the present was different from the current environment of the earth. In this primary environment, the synthesis of some complex organic molecules that were necessary for life. Firstly the primary creatures will be generated by other chemical synthesis. How did this organic molecule generate? Contemporary of

nutrition पोषण

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nutrition (पोषण) - सभी जीवो को जीवित  रहने तथा शरीर मे होने वाली विभिन्न उपापचय क्रियाओं को करने के लिए ऊर्जा की आवश्यकता होती है यह ऊर्जा भोजन से प्राप्त होती है। भोजन ग्रहण करने से लेकर जिवद्व्य में स्वांगीकृत करने तथा भविष्य के लिए उसे शरीर मे संग्रहित करने कि सभी क्रियाओं को सम्मलित रूप से पोषण कहते है। पोषण एक जटील प्रक्रिया है जो अनेक चरणों मे पूर्ण होती है।   type of nutrition  -- (पोषण के प्रकार)  स्वपोषण - ऐसे सभी जीव  स्वपोषी कहलाते है, जो  अपना भोजन अकार्बनिक पदार्थों की सहायता से स्वयं बनाते है, और ऊर्जा का संचय करते है, इसमे केवल पेड़-पौधे ही आते है, जो प्रक्राश-संश्लेषण क्रिया द्वारा काब्रोहाइड्रेटस रूप मे भोजन निर्मित करते है। प्रकाश-संश्लेषण के लिए क्लोरोफिल सूर्य का प्रकाश छोना आवश्यक है।  परपोषी या परपोषण    वे सभी जीव जो अपने भोजन का निर्माण नहीं कर सकते अर्थात अपने भोजन के लिए दुसरो पर आश्रित रहते है पर  परपोषी या विषमपोषी कहलाते है। पोषण के अधार पर परपोषी जीव निम्न प्रकार के होते हैं। प्राणीसमभोजी पोषण  परजीवी पोषण   मृतजीवी पोषण  (पाचन तन्त्र). जटिल व अघुलनशील खाद

कौन सा काम आपको खुशी से भर देता है?

दोस्तों आज हम जानेंगे कि कौन सा काम हमें खुशी से भर देता है। दोस्तों किसी की मदद करने से हमें खुशी की अनुभूति होती है। इसीलिए हमें दूसरों की मदद करनी चाहिए। कुछ अन्य कार्य भी हैं जिनकी मदद से हम उसी का अनुभव कार्य कर सकते हैं दूसरों के साथ खुशियां बांट के हम खुशी का अनुभव कर सकती हैं। दोस्तों का इस पोस्ट में कोई गलती नजर आई हो तो प्लीज कमेंट में जरूर बताएं

हम कैसे सुनते हैं?

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दोस्तों आज हम बताने वाले हैं आखिरकार हम अपने कानों की सहायता से सुनते कैसे हैं? तो चलिए शुरू करते हैं। हम एक अतिसंवेदी युक्ति जिसे कान कहते हैं, की सहायता से सुन पाते हैं। यह श्रवण व्यक्तियों द्वारा वायु में होने वाले दाग परिवर्तनों को विद्युत संकेतों में बदलता है जो श्रवण तंत्रिका से होते हुए मस्तिष्क तक पहुंचते हैं। मानव कान द्वारा सुनने की प्रक्रिया के पक्ष  के बारे में हम यहां चर्चा करेंगे। बाहरी कान 'कर्ण पल्लव ' कहलाता है । यह परिवेश से धन को एकत्रित। एकत्रित ध्वनि श्रवण नलिका से गुजरती है। श्रवण नलिका से सिर पर एक पतली झिल्ली होती है जिसे करण पत्ता है या कर्ण पटल झिल्ली कहते हैं। जब माध्यम के संपीडन करण पटेल तक पहुंचते हैं तो दिल्ली के बाहर की ओर लगने वाला दाब बढ़ जाता है और यह कर्ण पटल को अंदर की ओर दबाता है। इसी प्रकार, विरलन के पहुंचने पर कर्ण पटल बाहर की ओर गति करता है। इस प्रकार करण पटेल कंपन करता है। मध्यकाल में विद्यमान तीन हड्डियां (मुग्दरक,निभाई तथा वलयक) इन कंपनियों को कई गुना बढ़ा देती हैं। मध्य करण ध्वनि तरंगों से मिलने वाली इन द परिवर्तनों को आ

Indian monsoon

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The climate of India is heavily influenced by the monsoon winds. The sailors who came to India in the historical period were the first to notice the phenomenon on the monsoon.They benefited because of the reversal of the wind system.Because their ships depended on the direction of the wind. The Arabs, who came to India as traders, named this seasonal reversal of the wind system as monsoon.The effect of monsoon lasts between about 20 degrees north and 20 degrees south in tropical areas. ----------------------------------****-------------------------- The following elements are important to understand the process of monsoon. *****************-------********************** 1- Due to the process of cooling and cooling of land and water, an area of ​​low pressure arises on the land part of India, while an area of ​​high pressure is formed over its surrounding seas. 2- In the days of summer, the position of the tropical convergence zone shifts towards the Gangetic plain (this is a world finan

सात्विक दान

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एक विवेकशील प्राणी होने के नाते मनुष्य ने त्याग की अपेक्षा स्वभाविक है ।वास्तव में मानव का पूर्ण विकास ही त्याग द्वारा संभव है ।जो दूसरों के लिए जितना अधिक त्याग कर सकता है, वह उतना ही महान समझा जाता है राजा हरिश्चंद्र को हम आज उनके त्याग के लिए ही तो स्मरण करते हैं । महर्षि दधीचि ने तो अपना सही सी त्याग दिया था। वास्तव  में हमारे समृद्धि इतिहास में कई विभुतिया तो केवल अपने त्याग की भावना के लिए विख्यात हैं। त्याग की भावना का विकास करने के लिए सभी धर्मों में दान की महिमा बताई गई है कहा जाता है कि धन  का दान करने से धन शुद्ध होता है ।आवश्यक नहीं कि मात्र धनी व्यक्ति ही दान दान में सक्षम हैं, क्योंकि उनके पास किसी वस्तु का अभाव नहीं है। दान की भावना जागृत होने पर आप पाएंगे कि आपके पास भी अच्छा भंडार है। मात्र धन धान्य अन्न दान ही दान नहीं है। हो सकता है कोई व्यक्ति धनहीन हो परंतु उसके पास एक स्वस्थ और निरोग सही हो क्या ऐसे लोगों के लिए संविधान विकल्प नहीं है ? के आसपास कितने असत्य लोग मिल जाएंगे जिनकी वे अपनी शारीरिक ऊर्जा से सेवा करते हैं किसी के कार्य में हाथ बटा लेना भी श्

मध्य काल की प्रमुख घटनाएं (mean events of the middle age)

           मध्यकाल का अर्थ इतिहास को प्रायः तीन भागों में विभाजित किया जाता है-प्राचीन काल मध्यकाल तथा आधुनिक काल। अता प्राचीन काल और आधुनिक काल के बीच के युग को मध्यकाल कहते हैं। मध्य काल के प्रारंभ और अंत की विषय में इतिहासकारों ने किसी एक निश्चित वर्ष या दशक का प्रयोग नहीं किया है क्योंकि किसी भी युग का आरंभ और अंत शनै शनै होता है जब कुछ विशिष्ट सामाजिक और राजनीतिक परिवर्तन होते हैं। फिर भी ईशा की आठवीं सदी को मध्यकाल का आरंभ तथा 18 वीं शताब्दी को इसका अंत माना जाता है। इसका कारण यह है कि आठवीं शताब्दी के आसपास भारत के सामाजिक जीवन में बहुत से परिवर्तन हो रहे थे। इन सामाजिक परिवर्तनों का जीवन के राजनैतिक और आर्थिक बच्चों पर प्रभाव पड़ा। इस प्रकार भारत के इतिहास का एक युग आरंभ हुआ।  मध्य काल के इतिहास को जानने के स्रोत प्राचीन काल की अपेक्षा हमें मध्यकालीन भारत के अधिक जानकारी प्राप्त है। मध्यकाल के संबंध में हमारा ज्ञान भी अधिक है। मध्यकाल हमारी अधिक निकट है। अर्थात इस काल का इतिहास जानने के लिए अनेक साधन मिलते हैं। मध्यकाल की विषय में हमें निम्नलिखित स्रोतों से जानकारी मिलती है- 1.

फ्रांस की क्रांति के कारण

  1789 ईस्वी में फ्रांस में हुई क्रांति के द्वारा वहां ली वंश के शासन का अंत हुआ और वहां पर लोकतंत्र की स्थापना की गई। इस क्रांति के प्रमुख कारण निम्नलिखित थे- 1. अयोग्य शासक     फ्रांस की क्रांति के दौरान वहां पर लुई वंश का शासन था जिसका शासक 16 था। वह एक अयोग्य हटी और दूरदर्शी तथा कर्तव्य इन शासक था। वह सुधारों का पक्षधर नहीं अपितु निरंकुशता को बनाए रखना चाहता था। इस कारण जनता उसकी विरोधी बन गई। 2. मध्यम वर्ग यहां पर औद्योगिक क्रांति होने के कारण मध्यम वर्ग का उदय हो गया था जिसमें छोटे उद्योगपति वकील अध्यापक डॉक्टर और निम्न पदों पर कार्य करने वाले अधिकारी शामिल थे। यह वर्ग नए विचारों तथा राष्ट्रीय भावना से ओतप्रोत था और लोकतंत्र का पक्षधर था निरंकुश राजशाही का विरोधी था। अतः जब जनता ने राजशाही का विरोध किया तो इस वर्ग ने उसका पूर्ण समर्थन किया। 3. आम जनता की दयनीय स्थिति इस समय शासक उच्च वर्ग तथा कुलीन वर्ग जहां विलासिता पूर्ण जीवन बिता रहे थे वहीं आम जनता की स्थिति बड़ी दयनीय थी और लोग रोजी रोटी को तरस रहे थे। 4. मजदूर वर्ग की दुर्दशा इस समय फ्रांस में जो उद्योग स्थापित हुए थे उनमें