भगवान राम की मूर्ति बनाने के लिए लाई गई शालिग्राम शीला की खास बाते ।

भगवान राम की मूर्ती बनाने के लिए लाई गई शालिग्राम शिला, पवित्र पत्थर की कुछ हैरान कर देने वाली अनोखी बाते  ​

सैकड़ों सालों के बाद आज राम जन्मभूमि मानों खिलखिला उठी हो। नगरी में हर तरफ राम भजन का मधुर शोर है और हो भी क्यों न राम-सीता जी की मूर्ती को तराशने के लिए नेपाल से ‘शालिग्राम शिला' को जो लाया गया है। पवित्र पत्थर को देख संत समाज में या फिर राम भक्त हर कोई उनकी अस्थान में अभिभूत होता हुआ नजर आ रहा है। चलिए जानते हैं इस शिला से जुड़ी कुछ अनोखी बातें, जो शायद आप भी नहीं जानते होंगे।

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भगवान राम की मूर्ती बनाने के लिए लाई गई शालीग्राम शीला।


शालिग्राम नदी से मांगी क्षमा -

काली नदी से शिला को निकालने से पहले शालिग्रामी नदी से क्षमा मांगी गई। विधि-विधान से अनुष्ठान करने के बाद शिला का गलेश्वर महादेव मंदिर में अभिषेक भी किया गया। इसके बाद शिला को अयोध्या के लिए रवाना कर दी गई।

मूर्ती पर पड़ेंगी सूर्ये की किरणें -​

मूर्ती की ऊंचाई इस तरह बनाई जाएगी कि रामनवमी के दिन सूर्ये की किरणें सीधा उनके माथे पर पड़ें। जानकारी के अनुसार, एक शिला का वजन 26 टन होगा तो दूसरी शिला का वजन 14 टन है।

 भगवान विष्णु का वास का वास है शालिग्राम शीला मे -​

शास्त्रों के अनुसार ऐसा माना जाता है कि शालिग्राम में भगवान विष्णु का वास है। पौराणिक कथाओं में तो माता तुलसी और भगवान शालिग्राम के विवाह के बारे में भी बताया गया है।

शालिग्राम पत्थर से मिलती है सुख शांति -​

शालिग्राम के पत्थर गंडकी नदी में ही मिलते हैं। माना जाता है, जिस घर में शालिग्राम पत्थर की पूजा की जाती है, वहां सुख-शांति और प्रेम बरकरार रहता है। यही नहीं, माता लक्ष्मी की भी कृपा बनी रहती है।

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