घडी़ का सर्वप्रथम आविष्कार किस देश में हुआ किसने किया था, और कैसे हुआ था ?

घड़ी का सर्वप्रथम आविष्कार बहुत समय पहले हुआ था और इसका निर्माण कई साल पहले विभिन्न संस्कृति और सभ्यताओं में हुआ था। यह प्राथमिक रूप से सूर्य और चंद्रमा की गति को मापने और समय को ज्ञात करने के उद्देश्य से विकसित किया गया था।


पहले घड़ी के आविष्कार का संबंध अक्टूबर 1656 में हॉलैंड के एक वॉचमेकर जींत जैकोबज वागनर से जोड़ा जाता है। वागनर ने एक स्विंगर (pendulum) मेकैनिज़्म के साथ घड़ी बनाई थी, जिसे चालू रखने के लिए उसने एक लंबा पाठ (escapement mechanism) उपयोग किया था। इसके द्वारा, समय की गति को नियंत्रित किया जा सकता था और घड़ी का चालू रहने का समय बढ़ा दिया गया।

हालांकि, यह महत्वपूर्ण है कि बहुत सारी पहली घड़ियों के अवशेष मिले हैं जो इससे पहले के समयों में बनाई गई थीं। जैसे कि चंगांग कई साल पहले के चीनी मानवों द्वारा विकसित की गई थी और जो धूप की गति के आधार पर समय का अंदाज़ा लगाना मुश्किल था।

समय के मापन और घड़ी के विकास के लिए इतिहास में अनेक प्राथमिक उदाहरण मिलते हैं। यूरोप में रोमन सभ्यता के दौरान और इसके बाद काफी पहली घड़ियाँ बनाई गईं। यह घड़ियाँ धूप, जल, रेत या मोतीयों के प्रयोग से समय को निर्धारित करने के लिए उपयोग होती थीं।


मिस्र में ब्रह्म बंधन घड़ी (water clock) प्रचलित थी, जिसमें जल की धारा ब्रह्मपुट नामक पात्र में संकलित होती थी और जिसे देखकर समय की गति को मापा जा सकता था। यह घड़ी सूर्योदय और सूर्यास्त के आधार पर समय का अंदाज़ा लगाने में मददगार थी।

अतिरिक्त रूप से, भारतीय उपमहाद्वीप में सुबह-संज घड़ी (hourglass) का प्रयोग बहुत पुराने समय से होता आया है। इसमें दो उल्टी दिशाओं में जले हुए ग्लास के बीच रेत की धारा होती है, जो नीचे की ओर बहती है। जब रेत की धारा पूरी तरह से नीचे जाती है, तो समय का अवधि समाप्त होती है।

कुछ अन्य प्राचीन संस्कृतियों ने भी समय के मापन के लिए अपने तरीके विकसित किए थे। उदाहरण के लिए, इंका सभ्यता में सूर्य की गति के आधार पर समय का मापन किया जाता था। इंका लोगों ने सूर्य के रथ यानी "इंती" को बनाकर समय का अंदाज़ा लगाया जाता था। यह रथ बड़े स्तंभों पर स्थित था और सूर्य की प्रक्षेप में चलता था, जिससे समय की गति को मापा जा सकता था।

इसी तरह, यूरोप में शेफ़िल्ड की पटली (Shepherd's dial) नामक उपकरण प्रचलित था, जिसमें सूर्य की तीव्रता और सूर्यास्त के समय पर आधारित था। यह पटली ध्यान केंद्रित करने वाले स्तंभ के आवास के ऊपर स्थापित होती थी और उसके तारों द्वारा घड़ी की खुदाई की जाती थी।

ऐसे और भी कई रूपांतरण और उपकरणों का विकास हुआ जो समय के मापन में सहायता करते थे। इन आविष्कारों और उपकरणों का संग्रह मिलकर घड़ी के निर्माण की प्रक्रिया में समय के साथ विकास हुआ

आधुनिक समय में, घड़ी के और अधिक प्रभावशाली और उन्नत उपकरण विकसित हुए हैं। 17वीं शताब्दी में, विज्ञानशास्त्र में प्रगति के साथ, मैकेनिकल घड़ी बनाने के लिए नए उपकरण और तकनीकों का उपयोग किया गया। इसके परिणामस्वरूप, संकर मूवमेंट (crown-wheel escapement) और लीवर मूवमेंट (lever escapement) जैसे प्रभावी रूप से काम करने वाले एस्केपमेंट मैकेनिज़्म विकसित हुए। इन नए मैकेनिकल घड़ियों में धातुओं और धातु पदार्थों के उपयोग से अधिक सटीकता और लंबी चलने की क्षमता होती थी।

19वीं शताब्दी में, आईवर जैकब्सन नामक एक ब्रिटिश मैकेनिकल इंजीनियर ने चार्जिंग घड़ी का आविष्कार किया, जिसने स्वचालित रूप से घड़ी को चार्ज करने की क्षमता दी और इसे अधिक संचालनीय बनाया।


20वीं शताब्दी में, इलेक्ट्रॉनिक घड़ियों की उपलब्धता हुई जिनमें क्वार्ट्ज और एलेक्ट्रॉनिक मैकेनिकल मूवमेंट शामिल हैं। 

 



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