अनंत चतुर्दशी
अनंत चतुर्दशी, एक हिन्दू त्योहार है जो भारत में मनाया जाता है। यह त्योहार भगवान विष्णु की पूजा और भगवद गीता के उपदेश को याद करने के रूप में मनाया जाता है। इस दिन लोग अनंत के साथ व्रत रखते हैं और अनंत प्रेम का संकेत देने के लिए सोने के लूट की माला प्राप्त करते हैं। यह त्योहार हिन्दू कैलेंडर के आखिरी भद्रपद मास के द्वादशी और चतुर्दशी के बीच मनाया जाता है।
अनंत चतुर्दशी का त्यौहार क्यों मनाया जाता है?
अनंत चतुर्दशी का त्योहार मुख्य रूप से भगवान विष्णु की पूजा और भगवद गीता के उपदेश को याद करने के रूप में मनाया जाता है। इसका महत्व है क्योंकि इस दिन भगवान विष्णु ने अपने भक्त परमालया को अनंत का दर्शन कराया और उन्हें मोक्ष की प्राप्ति की वरदान दिया था।
इस तिथि को अनंत चतुर्दशी कहा जाता है क्योंकि "अनंत" शब्द का अर्थ होता है "अनंतकाल" यानी अनंतकाल तक का अर्थात् मोक्ष का प्राप्त होना। इस दिन लोग अनंत प्रेम और सामर्पण का प्रतीक मानते हैं और अपने परिवार के साथ मिलकर भगवान विष्णु की पूजा करते हैं।
इसके अलावा, अनंत चतुर्दशी को पितृ पूजा के रूप में भी मनाया जाता है, जिसमें पितृगणों की आत्माओं की शांति और मोक्ष की कामना की जाती है। इसलिए, यह त्योहार भारतीय संस्कृति में महत्वपूर्ण है और भक्तों के लिए आध्यात्मिक महत्व रखता है।
अनंत चतुर्दशी का त्यौहार कैसे मनाया जाता है?
अनंत चतुर्दशी का त्योहार बहुत ही धार्मिक और पारंपरिक तरीके से मनाया जाता है। यहाँ तक कि इसका तरीका भिन्न-भिन्न क्षेत्रों और परंपराओं के आधार पर थोड़ा भिन्न हो सकता है, लेकिन यह कुछ सामान्य धार्मिक क्रियाएँ शामिल करता है:
व्रत रखना: अनंत चतुर्दशी के दिन लोग व्रत रखते हैं। इसमें उपवास, एक बार खाने पीने का नियम और भगवान विष्णु की पूजा शामिल होती है।
अनंत धर्म पठन: इस दिन भगवद गीता के अनुभागों का पाठ और सुनने का महत्व होता है।
अनंत सरपत्न पूजा: अनंत चतुर्दशी के दिन लोग सोने, चांदी या तुरंत अनंत चतुर्दशी के बाद का समय लिए जाने वाले अनंत सरपत्न के मूर्ति की पूजा करते हैं।
कथा की सुनाई: इस दिन भगवान विष्णु की कथाएँ सुनाई जाती हैं, जो इस त्योहार के महत्व को समझाती हैं।
दान और दान कर्म: यह दिन दान करने के लिए भी महत्वपूर्ण है, विशेषकर पंचामृत या फल-फूल का दान करने का अद्भुत महत्व है।
समुद्र स्नान: कुछ स्थानों पर लोग अपने परिवार के साथ समुद्र जाकर स्नान करते हैं, इसे "अनंत चतुर्दशी स्नान" कहा जाता है।
यहाँ तक कि कुछ स्थानों पर अनंत चतुर्दशी के दिन केरला स्टाइल की सड़क परेड भी आयोजित की जाती है, जिसमें परंपरागत संगीत, नृत्य और उत्सव का मनोरंजन किया जाता है।
इन सभी धार्मिक और सांस्कृतिक क्रियाओं के माध्यम से लोग अनंत चतुर्दशी का त्योहार मनाते हैं और भगवान की कृपा की कामना करते हैं।
अनंत चतुर्दशी शुभ मुहूर्त (Anant Chaturdashi 2023 shubh muhurat)
उदया तिथि के अनुसार, अनंत चतुर्दशी 28 सितंबर, गुरुवार को मनाई जाएगी. चतुर्दशी तिथि का आरंभ 27 सितंबर को रात 10 बजकर 18 मिनट पर शुरू होगी और इसका समापन 28 सितंबर को शाम 6 बजकर 49 मिनट पर होगा. अनंत चतुर्दशी का पूजा का मुहूर्त सुबह 6 बजकर 12 मिनट से लेकर शाम 6 बजकर 49 मिनट तक रहेगा.
अनंत चतुर्दशी 2023 पर गणपति विसर्जन का मुहूर्त
अनंत चतुर्दशी के दिन गणेश जी का विसर्जन किया जाता है. 28 सितंबर 2023 को गणपति विसर्जन के लिए तीन मुहूर्त हैं. इस दिन सुबह 06 बजकर 11 मिनट से 07 बजकर 40 मिनट तक रहेगा, उसके बाद सुबह 10 बजकर 42 मिनट से दोपहर 03 बजकर 10 मिनट तक और शाम 04 बजकर 41 मिनट से रात 09 बजकर 10 मिनट तक गणपति विसर्जन का मुहूर्त है.
अनंत चतुर्दशी पर कैसे करें पूजा'
अनंत चतुर्दशी के दिन सुबह उठकर नहा-धोकर व्रत का संकल्प लें।
इसके बाद घर या मंदिर में अनंत चतुर्दशी की पूजा करें।
घर पर पूजा करने के लिए पूजाघर की अच्छे से सफाई कर गंगाजल का छिड़काव करें और कलश स्थापना करें।
कलश में एक बर्तन रखकर इसमें कुश से निर्मित अनंत की स्थापना करें। अगर कुश से अनंत बनाना संभव न हो तो आप भगवान विष्णु की तस्वीर भी रख सकते हैं।
इसके बाद अनंत सूत्र तैयार करने के लिए एक धागे को कुमकुम, केसर और हल्दी से रंगकर इसमें चौदह गांठ लगा दें और इसे भगवान विष्णु की तस्वीर के सामने चढ़ा दीजिए।
अब हल्दी, अक्षत, फूल, फल, नेवैद्य, पंचोपचार आदि से भगवान की पूजा करें और पूजा में अनंत चतुर्दशी की व्रत कथा पढ़ें और भगवान की आरती करें।
पूजा समाप्त होने के बाद अनंत सूत्र को बाजू में बांध लें।
अगर आप पुरुष हैं को अनंत सूत्र को दांए हाथ में और महिला हैं तो बाएं हाथ में अंनत सूत्र बांधे।
इसके बाद सामर्थ्यनुसार ब्राह्मण को भोजन कराने या दान देने के बाद ही प्रसाद ग्रहण करें।
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