इस बार यूपी बोर्ड पेपर में जरूर पूछा जाएगा यह प्रश्न एक बार जरूर पढ़ें
इस बार यूपी बोर्ड पेपर में आने इस प्रश्न के आने की संभावना ज्यादा है। इसलिए इस प्रश्न को जरूर याद कर लें।
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प्रश्न है महात्मा गांधी द्वारा चलाए गए तीन आंदोलन का वर्णन कीजिए?
असहयोग आन्दोलन महात्मा गांधी ने भारतीय राजनीति में प्रवेश ब्रिटिश सरकार के सहयोगी के रूप में किया था, क्योंकि उन्हें ब्रिटिश सरकार की ईमानदारी व न्यायप्रियता में विश्वास था, परन्तु वर्ष 1919 में भारत में अनेक ऐसी घटनाएं घटी, जिन्होंने गांधीजी को ब्रिटिश सरकार के विरुद्ध आन्दोलन प्रारम्भ करने के लिए विवश किया। इन घटनाओं में वर्ष 1919 का दमनकारी रॉलेट एक्ट, जलियाँवाला बाग हत्याकाण्ड आदि घटनाएँ प्रमुख थी।
सविनय अवज्ञा आन्दोलन सविनय अवज्ञा का अर्थ विनम्रतापूर्वक आहा या कानून की अवहेलना करना है। सविनय अवज्ञा गांधीजी के आन्दोलनों की विशेषता रही है। इसके अन्तर्गत विनम्र तथा अहिंसक होकर सरकारी कानूनों का उल्लंघन किया जाता है। वर्ष 1930 में महात्मा गांधी ने सविनय अवज्ञा आन्दोलन प्रारम्भ किया था। इसके लिए उन्होंने नमक सत्याग्रह की शुरुआत की। महात्मा गाँधी के द्वारा 12 मार्च, 1930 को ऐतिहासिक नमक सत्याग्रह शुरू करने का निश्चय किया गया। उन्होंने 12 मार्च को साबरमती आश्रम से अपने 78 समर्थकों के साथ दाण्डी के लिए पदयात्रा प्रारम्भ को 6 अप्रैल को गाँधीजी ने नमक बनाकर कानून तोड़ा।
• भारत छोड़ो आन्दोलन 8 अगस्त, 1942 को भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस ने बम्बई (मुम्बई) के ग्वालिया टैंक मैदान में हुए अधिवेशन में ऐतिहासिक भारत छोड़ो प्रस्ताव पास किया गया। इस आन्दोलन की सफलता के लिए महात्मा गाँधी ने लोगों को 'करो या मरो' का मन्त्र दिया तथा ब्रिटिश सरकार को तत्काल भारत छोड़कर चले जाने की चेतावनी दी। 8 अगस्त को रात्रि में भारत छोड़ो प्रस्ताव पास होते हो आन्दोलन की शुरुआत हो गई। ब्रिटिश सरकार ने भी तत्काल प्रतिक्रिया करते हुए महात्मा गांधी समेत कांग्रेस के लगभग सभी शीर्ष नेताओं को गिरफ्तार कर नजरबन्द कर दिया या जेल में डाल दिया। अतः यह आन्दोलन एक प्रकार से नेतृत्वविहीन, अराजक एवं हिंसक हो गया। आन्दोलन के समय अनेक स्थानों, जैसे- बलिया, सतारा एवं तामलुक आदि स्थानों पर ब्रिटिश अधिकारियों को हटाकर समानान्तर सरकारें भी स्थापित की गई। सरकार ने बल प्रयोग कर आन्दोलन का दमन करना प्रारम्भ कर दिया। हालांकि आन्दोलन का दमन कर दिया गया, किन्तु इस आन्दोलन ने ब्रिटिश राज की जड़े हिलाकर रख दी।
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